चिराचिरा भएर सुकिरहेका यि निशब्द अोठले
सब्दका बर्सात हुने यि मनमस्तिष्क मा
खडेरी परि कसैको ईखमेटाउन
चिराचिरा भएर सुकिरहेका यि निशब्द अोठले
समेत चयनको अाष त्यागिसकेका छन्
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